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Astro Motive Astrology by Astrologer Dr. C K Singh |
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वेद शायद आज हमारे ग्रह पर सबसे पुराना लिखित पाठ है। वे भारतीय सभ्यता की शुरुआत से पहले के हैं और पूरी आर्य जाति के शुरुआती साहित्यिक रिकॉर्ड हैं। माना जाता है कि वे 100,000 वर्षों से मौखिक परंपरा से गुजरे हैं। वे 4-6,000 साल पहले लिखित रूप में हमारे पास आए थे। वेद शब्द संस्कृत के "विद" शब्द से निर्मित है अर्थात इस एक मात्र शब्द में ही सभी प्रकार का ज्ञान समाहित है। प्राचीन भारतीय ऋषि जिन्हें मंत्रद्रिष्ट कहा गया है, उन्हें मंत्रो के गूढ़ रहस्यों को ज्ञान कर, समझ कर, मनन कर उनकी अनुभूति कर उस ज्ञान को जिन ग्रंथो में संकलित कर संसार के समक्ष प्रस्तुत किया वो प्राचीन ग्रन्थ "वेद" कहलाये। एक ऐसी भी मान्यता है कि इनके मन्त्रों को परमेश्वर ने प्राचीन ऋषियों को अप्रत्यक्ष रूप से सुनाया था। इसलिए वेदों को श्रुति भी कहा जाता है।
सामान्य भाषा में वेद का अर्थ है "ज्ञान"। वस्तुत: ज्ञान वह प्रकाश है जो मनुष्य-मन के अज्ञान-रूपी अन्धकार को नष्ट कर देता है। वेद पुरातन ज्ञान विज्ञान का अथाह भंडार है। इसमें मानव की हर समस्या का समाधान है। वेदों में ब्रह्म (ईश्वर), देवता, ब्रह्मांड, ज्योतिष, गणित, रसायन, औषधि, प्रकृति, खगोल, भूगोल, धार्मिक नियम, इतिहास, रीति-रिवाज आदि लगभग सभी विषयों से संबंधित ज्ञान भरा पड़ा है। Astro Motive Astrology by Astrologer Dr. C K Singh
वेदों को चार समूहों में विभाजित किया गया है, ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। प्रत्येक समूह में एक मूल पाठ (मंत्र) और एक भाष्य भाग (ब्राह्मण) है।
ब्राह्मण में फिर दो भाग होते हैं, एक व्याख्या अनुष्ठान और दूसरा दर्शन। मूल ग्रंथों के दर्शन की व्याख्या करने वाले अंश उपनिषदों का गठन करते हैं।
वेदांगों के सहायक ग्रंथ भी हैं। वैदिक साहित्य से तात्पर्य साहित्य के इस विशाल समूह से है। संपूर्ण ऋग्वेद और अधिकांश अथर्ववेद काव्य, या देवताओं और तत्वों के भजन के रूप में हैं।
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